अनुकूलन क्षमता पैदा करें
अनुकूलन क्षमता पैदा करें
दूसरों की सेवा करते समय कभी
कुड़कुड़ाना नहीं चाहिए
सेवा में आनंद लें
सेवा के अवसरों के लिए देखें
कर्म ही प्रभु की आराधना है।
मिलनसार, प्रेमपूर्ण, मिलनसार स्वभाव का बने ,
सहानुभूति, अनुकूलन शीलता, आत्म-संयम,
सहिष्णुता, प्रेम और दया करें।
दूसरों के तौर-तरीकों और आदतों के साथ
खुद को एडजस्ट करें।
आपका अपमान होने पर भी संतुलित रहें ,
जब दूसरे आपके खिलाफ कठोर शब्दों
का प्रयोग कर रहें हों।
सुख और दुख में,
गर्मी और सर्दी में अपने मन को संतुलित रखें।
कर्म योग मन को प्रकाश और ज्ञान के
स्वागत के लिए तैयार करता है।
यह हृदय का विस्तार करता है
और एकता के रास्ते में आने वाली
सभी बाधाओं को तोड़ देता है।
कर्म योग हृदय की पवित्रता की प्राप्ति
के लिए एक प्रभावी साधना है,
इसलिए निःस्वार्थ भाव से निरंतर सेवा करें।