अनुभूति
अनुभूति
किसकी खोज में निकलें
कुछ समझ में नहीं आता
अनुभूति से ही मालूम होगा
इस संसार से क्या है नाता।
नित आँख खुली रखकर
धन तो इकट्ठा कर पायेगा
ईश प्राप्ति के लिये तो बस
आँख बंद कर ही कुछ पायेगा।
जीवन का अर्थ जानना ही
जन्म की जीवंन साधना
कुछ देर आँख मिटकर
मौन रखना ही आराधना।
युग युग से यही हमें है
मुनि योंने हरदम सिखाया
कठोर तपस्या कर हमें
जीने का रास्ता दिखाया।
स्वर्ग समान यहाँ अनुभव
ध्यान-धारणा कर ही आयेगा
अनुभूति का यह साक्षात्कार
शरीर के कण-कण में छायेगा।
आत्मबोध प्राप्त कर ही
मिलेगी मुक्ति की अनुभूति
मुक्ती के बिना जीवन चक्र से
छूटने की किसको है अनुमति।।
