सूरत का सच
सूरत का सच
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सूरत की घटना से
दिल तो दहल उठा
सामने आया सबके
नकाब उनका झूठा।।
गिरते बच्चों के फोटो
खींचने में लीन थे हाथ
बच्चों को बचाने को
क्यों नही दिया साथ।।
मरते बच्चों की फोटो
बोलो किसको थी दिखानी
मरते को मदत करने की
भी बात बोलो अभी सिखानी?।।
रामसेतु बाँधने में छोटी
गिलहरी भी नही थी पीछे
वहाँ सब देख रहे थे के
बच्चे कैसे गिर रहे है नीचे।।
सब लोग जमा होकर
बच्चों को सकते थे झेल
मगर सब तो बिजी थे
खेलने में फारवर्ड का खेल।।
लानत है ऐसे लोगो पर जो
मदद करने को कतराते है
मरते हुये आदमी को भी
अपनी कैमरे से निहारते है।।
