अन्तर्मन
अन्तर्मन
जब अवसर के दरवाजे पर ताला लटके
रूठी किस्मत जब दे डाले तुझको झटके
जब तेरा मन पात सरीखा डोल रहा हो
तेरा साहस जब भी हारी बोल रहा हो
जब कष्टों की काली-काली बदली छाए
जब संदेह की नागिन तुझको डसने आए
भाग्य दे रहा हो तुझको फटके पे फटके
गिरे गगन से और ताड़ पर जाकर लटके
तब शरणागत हो तूँ अपने अंतर्मन का
यहीं छिपा है मूलमंत्र पूरे जीवन का
ईश्वर अल्लाह कृष्ण राम सब हैं अंतर में
कहाँ खोजता है इनको मूरख प्रस्तर में
तेरा अंतर्मन ऊर्जा का मूल स्त्रोत है
इस ऊर्जा से जीवन तेरा ओतप्रोत है
अंतर्मन को 'देव' शरण स्थली बना ले
खुशियों का त्योहार है जीवन इसे मना ले।