अन्तर्मन में भगत सिंह
अन्तर्मन में भगत सिंह
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नहीं पूजता
नेता सुभाष ,विस्मिल,आजाद, अब्दुल हमीद को नहीं भूलता।
सुखदेव,राजगुरू की कुर्बानी,आज के नेता कहते क्रूरता
अशफाक, शिवाजी का भारत, होते राणा तो नहीं टूटता।
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नहीं पूजता।
गर आज भगत सिंह होते तो ये दशा नहीं देखी जाती
और संसद और विधान भवन में फिर से बम फेकी जाती
ये क्रूर हुए मशहूर हुए, खुद को कहते भारतवासी
देशभक्तों पर आरोप लगे, गद्दारों की रूकती फांसी
प्रतिरूप आपके आज भी है, पर सत्ता कोई नहीं सौपता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नहीं पूजता।
जनता हित की गर बात करें शासन के दुश्मन बन बैठे
ज्यों सांप शिकारों को देखे कुण्डली मार ऐसे ऐठें
हम अपने हक की बात करें लाठी से मारे जाते हैं
उस पापी नीच सांडर्स के तस्वीर दिखाये जाते हैं।
यदि आज आप जीवित होते, इतिहास स्वयं को दुहराता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नहीं पूजता।
देशभक्त के साथ नहीं, ये हाथ मिलाते दुश्मन से
ये पाक की बिरियानी खाते और आंख लड़ाते लंदन से
जिस डायर को गोली मारी ऊधम सिंह जी ने लंदन में
आज बहुत डायर भारत में, ज्यों भुजंग हो चंदन में
कुर्सी जिनकी मां बन बैठी भारत मां डायन जिन्हे सूझता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नहीं पूजता।
भारत के सच्चे सपूत, खुद झूल गये हंसते फांसी
उनकी तो कोई कदर नहीं, नोटों पर छपतें हैं गांधी
ये ठीक हुआ जो आप नहीं, हैं नोटों पर छापे जाते
वरना इन दुष्टों के हाथों, कोठों पर भी फेंके जाते
अपने एहसांसो की कड़ियां, स्रद्धा से मैं तुम्हे सौपता
मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नहीं पूजता।
