अंतिम पग - कारगिल
अंतिम पग - कारगिल
देखना उस चोटी पर, अब तिरंगा लहराएगा
इस सफ़ेद चादर को, लाल ये कर जाएगा
आँखों में अश्क़ है, सीने में है दर्द
मौत है मेरे करीब, मौसम है ये सर्द
फिर भी है सुकून दिल में, लब पे है मुस्कान
अगले जन्म चुका जाऊँगा, माँ तेरा एहसान
देखना उस चोटी पर, अब तिरंगा लहराएगा
इस सफ़ेद चादर को, लाल ये कर जाएगा
मुश्किल था सफर, लेकिन कर लिया है पार
देश को तुम लोगों के, काँधे छोड़ रहा हूँ यार
पाँव नहीं चलते अब मेरे, हाथ न मेरा उठता
दूजे सफर निकल चला अब, देखो ना मैं रुकता
देखना उस चोटी पर, अब तिरंगा लहराएगा
इस सफ़ेद चादर को, लाल ये कर जाएगाा
माँ पूछेंगी तो कह देना, फिर वापस मैं आऊँगा
इस जन्म अधूरा है जो, अगले जन्म कर पाऊँगा
पिता मेरे जो रोयेंगे तो, तुम कांधा दे देना
उनको हाथों से मेरी, तस्वीर तुम ले लेना
बीवी जो पूछेगी तो, ये लहू की बात ना कहना
देश के लिए तुम भी जीना, और बस खुश रहना
बच्चे मेरे जो रोये तो, उनको ये बतलाना
मातृभूमि का है जीवन, देश भक्त कहलाना
देखना उस चोटी पर, अब तिरंगा लहराएगा
इस सफ़ेद चादर को, लाल ये कर जाएगाा
बहन जो रोये मेरी, तुम उसको चुप ना कराना
कहना खूब रो लो आज, फिर ना आँसू बहाना
यार दोस्त जो पूछेंगे तो, ये वर्दी तुम दे देना
देश प्रेम और सुरक्षा का वचन तुम ले लेना
देखना उस चोटी पर, अब तिरंगा लहराएगा
इस सफ़ेद चादर को, लाल ये कर जाएगाा
छूट रही हैं धड़कन मेरी, टूट रही हैं साँसे
दर्द बहुत होता मुझे, कैसे कहूँ मैं तुमसे
इतना ही था सफर, अब हो गया है पूरा
हाँ, मेरा भी कोई सपना रह गया अधूरा
फिर आऊंगा तुमसे मिलने करने पूरे सपने
आजाद देश में रहेंगे मिलकर सब मेरे अपने
देखना उस चोटी पर, अब तिरंगा लहराएगा
इस सफ़ेद चादर को, लाल ये कर जाएगा ।।