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Diksha Gupta

Romance

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Diksha Gupta

Romance

अनकही बातें

अनकही बातें

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बिना कहे मैं कैसे समझ जाता हूँ हर बार उसको, इस बात से वो परेशान है । 

बतलाता हूँ आज तुमको कर लेता हर बार कैसे यह इंसान है ।।


देखकर उसकी आँखों में उसके हर दर्द का एहसास हो जाता है । 

कब चाहिए उसको प्यार कब चाहिए मेरा साथ - सब पता चल जाता है ।।


पढ़कर उसके माथे पर चिंता की रेखाएं, 

बिन बताएं उसकी परेशानी को महसूस मैं कर पाता हूँ ।

रहकर साथ सुलझाकर मुसीबत, सुकून मैं पाता हूँ ।।


देखकर उसके होंठों की मुस्कान , 

अपने रोम रोम में ख़ुशी को अनुभव मैं कर पाता हूँ ।

हमेशा बनाये रखने को उसके साथ यह हसीं , 

रात दिन भगवन से दुआ यह मांगता हूँ ।।


उसका खिला हुआ या मायूस चेहरा मुझे ,

बिन कहे सब कुछ कह जाता है ।

लाने को उसके चेहरे पर वो नूर वापिस , 

हर कदम मैं उठाता हूँ ।।


शयद यूही उसको समझते बन गया हूँ उसके लिए इतना ख़ास ,

करता हूँ सारी ज़िन्दगी बस यूही उसके लिए यह सब ,

रखना मुझे ऐ खुदा हमेशा उसके पास ।।


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