अनकही बातें
अनकही बातें
बिना कहे मैं कैसे समझ जाता हूँ हर बार उसको, इस बात से वो परेशान है ।
बतलाता हूँ आज तुमको कर लेता हर बार कैसे यह इंसान है ।।
देखकर उसकी आँखों में उसके हर दर्द का एहसास हो जाता है ।
कब चाहिए उसको प्यार कब चाहिए मेरा साथ - सब पता चल जाता है ।।
पढ़कर उसके माथे पर चिंता की रेखाएं,
बिन बताएं उसकी परेशानी को महसूस मैं कर पाता हूँ ।
रहकर साथ सुलझाकर मुसीबत, सुकून मैं पाता हूँ ।।
देखकर उसके होंठों की मुस्कान ,
अपने रोम रोम में ख़ुशी को अनुभव मैं कर पाता हूँ ।
हमेशा बनाये रखने को उसके साथ यह हसीं ,
रात दिन भगवन से दुआ यह मांगता हूँ ।।
उसका खिला हुआ या मायूस चेहरा मुझे ,
बिन कहे सब कुछ कह जाता है ।
लाने को उसके चेहरे पर वो नूर वापिस ,
हर कदम मैं उठाता हूँ ।।
शयद यूही उसको समझते बन गया हूँ उसके लिए इतना ख़ास ,
करता हूँ सारी ज़िन्दगी बस यूही उसके लिए यह सब ,
रखना मुझे ऐ खुदा हमेशा उसके पास ।।

