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Diksha Gupta

Abstract

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Diksha Gupta

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हमारा कियांश प्यारा

हमारा कियांश प्यारा

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उसके होठों की हसी 

उसके चेहरे की मुस्कान 

मिटा दे हर ग़म 

उतार दे हर थकान 


उसका सारा दिन घर में घूमना 

उसकी प्यारी सी आवाज़ का घर में चहचहाना 

सबको आपने आगे पीछे लगाके रखना 

पूरा दिन सबका मन लगाना 


होने से उसके रहती है घर में रौनक 

उसके साथ समय हस्ते खेलते बीत जाता है 

न हो घर में थोड़ी देर भी अगर 

सूना सा माहौल छा जाता है 

अपनी मासूमियत से सतना ही फिर सबको याद आता है 


है वो सबकी आँखों का तारा 

घर की अगली पीड़ी का पहला सदस्य 

हमारा कियांश प्यारा।


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