अनजानी अनसुनी आपदा
अनजानी अनसुनी आपदा
अनदेखी अनसुनी आपदा कहां से आ गई ना ।
कभी सुना था कि ऐसा भी होता है
ना कभी जाना था।
कभी घर में भी बंद रहना पड़ता है। लोगों से अपनों से दूर ही रहना पड़ता है
बीमारी में मौत मरतक में भी लोग किसी के साथ नहीं आते।
ऐसा ना सुना था ना देखा था।
मगर इस कोरोना ने यह सच कर दिखाया।
कैसा समय आ गया है।
डर हर दिल में समाया है।
तो भी घूमने वालों का मन
नहीं डोला पाया है।
थोड़ा वातावरण सही हुआ।
थोड़ा कोरोना वायरस कम हुआ।
लोगों ने वापस दौड़ लगानी चालू करी, दूर दूर बहुत दूर चले।
कोई जंगलों में कोई पहाड़ों में चले। सब अपनी मस्ती में चले।
लोग घर से ऐसे जा रहे हैं, जैसे बाड़े में बंद पशु छूटे हो।
जैसे स्कूल से छूटे बच्चे
जैसे पिक्चर से छूटा शो
काले पानी की जेल से छूटे हो
आने वाले खतरे से अंजान नहीं है।
सब अपने आप में जीते हैं।
जो नहीं निकल रहे हैं उनको बेचारा वे कहते हैं, कि डर के मारे घर से नहीं निकल रहे।
फिर वही लोग जब कोरोना की चपेट में आते हैं तो खुद बेचारे बन जाते हैं।
अपने आप को जस्टिफाई कर खुद को बेकसूर वह बताते हैं
सरकार को और दूसरों को दोषी बताते हैं।
ऐसे बहुत उदाहरण हमने देखे इसीलिए यह कहती विमला
अरे भाई सावधानी हटी और दुर्घटना घटी समय ही ऐसा है, थोड़ा संभल जाओ।
कोरोना की चौथी वेव आ रही है उससे थोड़ा सभंलो।
सुन रहे हैं चीन और साउथ कोरिया में आ चुकी है तो अपने यहां ना आ जाए
इसलिए और कुछ नहीं तो मास्क तो लगा लो।
नहीं तो सावधानी हटी और दुर्घटना घटी वाली स्थिति हो जाने वाली है।
घूम कर आ रहे हैं से थेबनते देर नहीं लगती।
इसीलिए अपनी सुरक्षा आपको खुद को करनी है।
जिंदगी को समझदारी से और शांति पूर्वक चलानी है।
जिंदगी रही तो घूमने को जगह बहुत है ।
थोड़ा अभी संभाल लो आगे जिंदगी बहुत लंबी है।
