अनजान प्यार
अनजान प्यार
स्कूल के बाद कालेज जाने लगे
अपने साथ ज्यादा उम्मीद लेके
पढ़ाई के साथ साथ प्यार भी हुआ
एक अनजान लड़की को दिखके।
अनजान से उसके साथ
पहचान हुई मेरा
उसकी हँसी, मीठी मीठी बात
दिल को छू ने लगा।
भोलीभाली निर्मल हृदय से उनकी
मोहित हुई मन मेरा
अभी ऐसे मेहेसुस होने लगा है
उसके बिना मैं अधूरा।
वो समझ नई पाता मुझे
कितना प्यार करता हूँ उसको
फिज़िक्स और मेथ कॉपी मैं भी
प्यार की प्रकाश किया था उनको।
नाम है "अर्चना" करता हूँ रचना
पबित्र प्यार की कबीता
जितने भी लिखा हूं शायरी वो है रानी
सायद उसको नई पता।
सच ! आज वो मेरे पास नई है
फिर भी बहत चाहता हूं
वो अभी और किसी की रानी है
हर पल उसके लिए ईश्वर को दुआ मांगता हूं।