सपना
सपना


एक दिन ऐसा था
तुम्हें जान से ज्यादा चाहता था,
तुम समझ नहीं पाए
दूसरों को अपना करने लगे
फिर भी मैं चाहने लगा !
तुम क्या पहचानोगे
दिल की धड़कन
कभी जो तुम्हारे ठिकाना था
तुम तो दिल को नहीं दौलत को
अपना सब कुछ समझने वाले थे !
मेरे दिल से दूर जाने की
सिर्फ एक वजह थी
मैं तो तुम्हारी औकात के बाहर था,
सपना कभी अपना होने दो
दिखते हैं ये दिल सीने में बचता है !