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रश्मि संजय (रश्मि लहर) श्रीवास्तव

Inspirational

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रश्मि संजय (रश्मि लहर) श्रीवास्तव

Inspirational

अनियंत्रित स्वप्न

अनियंत्रित स्वप्न

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झाँक रहे हैं नयनों के 

कोने-कोने से 

स्वप्न। 


छिपे कांख में थे यथार्थ की, 

कसमसाए वे कब? 

पुलकित-पवन उम्मीदों की भी, 

वे पाए थे कब?? 


दौड़ रहे मन के कानन 

में, मृगछौने-से 

स्वप्न। 


गलबहियाँ कर के मिलतीं, 

कुछ स्मृतियाँ चंचल। 

रंगत बदले फिर कपोल, 

मल दें बतियाॅं सन्दल।। 


खूब लुभाते हैं माखन-

मिश्री दोने-से 

स्वप्न। 


रूप सजाता मन, अतीत के 

विरही वादों का। 

पुनर्जन्म ज्यों होता भूली-

बिसरी यादों का।। 


कर लेते मन को वश में, 

जादू-टोने-से 

स्वप्न।।



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