सृजनशील कृषक
सृजनशील कृषक
कर्मठ और सृजनशील कृषक..
धूप में झुलसते..
सपनों की चिन्ता किये बगैर
अपने बेचैन यर्थाथ से जूझता हुआ..
समर्पित होता रहता है..
अपने संघर्ष के समक्ष..
मन में भरकर..
आकर्षित उम्मीदों का सुन्दर परिदृश्य!
जीत जाता है कड़वी कठिनाइयों से!
वो प्रफुल्लित हो उठता है..
प्रकृति की उर्वरक सुगन्ध पाकर
सजाता जाता है..
अपने श्रम के अनुभवों से
विचारों की गलियाँ !
हार नहीं मानता परिस्थितियों से..
जोतता जाता है अपने पसीने से..
देश के उन्नत भविष्य के लिए..
सार्थक फसलों का खेत!
भले उसको आश्रय देती रहे..
किनारे की धरती पर पड़ी रेत!
मिलाकर संवेदनशील और कर्मठ
विचारों की खाद..
पोषित करता जाता है..
सहज भाव से वो सम्पूर्ण परिवेश!