अंधकार केवल मन का नहीं
अंधकार केवल मन का नहीं
अंधकार से घिर गया मन,
कोई तो दीप जलाओ
बुझे हुए जीवन में,
खुशियों की रोशनी लाओ,
अंधकार केवल मन का नहीं है,
यह तो हर दिशा में फैला है,
सभी जगह पर है समस्याएं,
बहुत ही जगहों पर झमेला है,
कब तक करेगें हम,
रोशनी मिलने का इंतजार,
वहां तो जुगनू भी नहीं है,
खुद उठो, जागो,
मन को जगाओं,
फैले अंधेरे को दूर भगाओं,
बुझे हुए जीवन में,
खुशियों की रोशनी लाओं,
सुना है आज दीपोत्सव है,
चारों तरफ दीप जलेगें,
लोगों के हाथ में होगी,
रंग बिखेरने वाली फुलझड़ी,
लेकिन अभी भी कई लोग,
ऐसे है जो मन को रखते है,
दूषित और मटमैला,
वह लोगों की खुशियों को,
नहीं पचा सकतें,
दूषित आत्माओं के मन में बैठे,
अंधकार को दूर भगाओं,
कोई तो ऐसा दीप जलाओं,
बुझे हुए जीवन में,
खुशियों की रोशनी लाओं,