STORYMIRROR

अमर जवान

अमर जवान

1 min
940


सजा लेना थाली

प्रिये, मैं हूँ आया।

देखो, मैं आया,

प्रिये, मैं हूँ आया।


बहुत होंगे आये

अपने पराये।

बोले भी होंगे

वे रोए, रुलाए।

ये कैसे आया,

कैसे ये आया ?


ये क्या हाल तेरा

आँखों में नदिया ?

अश्कों से भीगी

होगी चुनरिया।

मैं क्यों यूँ आया,

यूँ क्यों मैं आया ?


न कसमें हैं झूठी

न वादे हैं खोटे।

मैंआया प्रिये,

तिरंगे में लपेटे।

बाजे और बारात

सँग मैं हूँ लाया।


मैं मर के अमर हूँ

न रोना कभी तुम।

माथे से अपने

मिटाना ना कुमकुम।

लहराते झंड़े में

मैं हूँ समाया !


देखो, मैं आया

प्रिये, मैं हूँ आया !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action