अमलतास और प्यार
अमलतास और प्यार
उसे साल भर
अमलतास के फूलने का इंतज़ार
रहता है कि वो लकदक भरे
अमलतास के पेड़ के नीचे खड़ी
उसके फूलों के रंग और नाजुक कोमलता को निहारे
देर तक निहार कर जी भर ले।
उसे एक और
बात का इंतज़ार रहता है,इंतज़ार उस हवा का
जो उसके ऊपर छाए फूलों के कानों में
उसकी तृषा को कह कर उनको झर झरा दे।
हर बार की तरह भटकती हवा
इस साल भी पक्की सहेली की तरह आती है
अनकहा वादा निभाती है,
बारिश की तरह उस पर
अमलतास के पीले फूल झरझरा देती है।
फूल उसके शरीर को छूते ,गुदगुदाते,
नेह करते बिछ जाते हैं उसके चारों ओर,
देखते हैं उसे अपने बीच वहीं
खुशी से आह्लादित होते ,भरते हुए।
आहा ,कैसी दिव्य अनुभूति !
उसे महसूस होता है कि
वो उस दम अंदर-बाहर, हर जगह से
प्रेम से सरोबार हो गयी है।
कौन कहता है प्रेम का रंग
सिर्फ लाल होता है,
आज पीले अमलतास के फूलों ने
उसे भरपूर दुलार दिया है,तार दिया है।
तृप्त आत्मा से कुछ आंसू
दौड़ पड़े हैं उसके गालों,
गर्दन और सीने पर बोसा देने।
इतना प्यार, इतना प्यार....
सच ! उसे अमलताश के
पीले फूल ही दे सकते हैं।