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Madhukar Bilge

Inspirational Others

5.0  

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अम्बादास : एक अनोखा शख्स

अम्बादास : एक अनोखा शख्स

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हवा का झोंका था शायद

या राहों का मुसाफ़िर मिला मुझे अजनबी बनकर

आँखों की रोशनी बनकर

गया दिल को सहलाकर

था शायद मेहमान मेरा

कुछ दिन गुजार कर

प्यार का पौधा लगाकर

मोहर दिल पे छोड़ गया इंतजार आँखों मे

एहसास सांसों में

ख़ुमारी जिंदगी में छोड़ गया रौशन महताब

जिंदा आफ़ताब शब का सितारा था।

नाज़-ए-दिल महकता एहसास था।

वो शख्स जो पता नही मेरा कौन था।


सहरे में महकता गुल-ए-गुलाब

था जैसे बारिश में जलता चिराग

हर बात में होती सदाकत उसकी

तूफानों से न बुझती शमा उसकी

जिसकी खुशबू थी दिल मे

इल्म था ज़िन्दगी मे तस्वीर थी आँखों में

नशा था रगों में

उस शख्स से कैसे

न जाने कैसे

मेरा दिल अंजान था

जिसके लिए जो जहान था

वो शख्स जो पता नही मेरा कौन था।


लकीरों में होता तो

मुट्ठी में बंद कर लेता उसे

साँसों में होता तो

दिल मे छुपा लेता उसे

मैं मरीज़ वो हक़ीम थमैं पतझड़ वो बारिश..

मैं गुलशन वो महक था

मैं दरिया वो साहिल..

मुक्कदर मेरा साया रो रहा है

वक़्त रुक कर गह रहा है,पंछियों का गीत

घटाओं की चीख़ धड़कनों का हुजुम भी अब कह रहा है

रोक उसे जो सफेद साया था

करीब-ए-रूह जो पराया था

दिल का हमसाया था

वो शख्स जो पता नही मेरा कौन था।


चेहरे पे रौनक थी सितारों सी

वजूद में महक थी गुलिस्ताँ सी

दिल से एहसास था जुड़ा उसका

धड़कनों पे लिखा था नाम उसका

खुद को सँवारा था जिसे देख के

वो जो आईना था

सच्ची दोस्ती का हवाना था

वो शख्स जो पता नही मेरा कौन था।


यूँ हुआ है आज वो रुख़सत मुझ से

जैसे होता है टुटता तारा आसमाँ से

तितली जैसे गुलशन से

जान जैसे जिस्म से

तन्हाईयाँ चुभ रही है उसके बिना

जिंदगी सितम है उसके बिना

फ़िजूल है कामियाबी उसके बिना

हर जीत मेरी हार है उसके बिना

मेरा चैन मेरा सुकून है वो

धड़कनों की धुन है वो न रह पाउँगा मैं उसके बिन

जिंदा जिंदगी में जिसके बिन

वो जो फ़रिश्ता था प्रेम का गुलदस्ताँ था

वो शख्स जो पता नही मेरा कौन था।


किरदार में उसके न झाँक सका मैं

आँखों मे उसके न डूब सका मैं

न किसी राह से न जरिये से

दिल मे उतर सका

न कोई बसेरा दिल मे बना सका मैं।

न जाने क्यों उसे जान न सका

अफसोस कि मैं समझ न सका

वो जो नीर की तरह साफ

शहद की तरह मीठा था

न किसी पहेली सा

कहानी की तरह सरल था।

प्यार का सौदागर

दोस्ती का ग्राहक था।

रिश्तों का ख़ुदा

वालिद-ए-तहज़ीब था।

वो हस्ति जो रिश्तों का ताज

नूर मानो पूनम का चाँद

उसकी आँखें जैसे मोती

सोच जैसे शरीअत

वो जो सच्चा साथी था

जगमग कोहिनूर सा

अनमोल 'अमोल' था

वो शख्स जो पता नही मेरा कौन था।




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