जिंदगी क्या है बिलगे
जिंदगी क्या है बिलगे
जिंदगी क्या है बिलगे ?
जिंदगी एक हमसफ़र है
मगर धोखेबाज और
कपटी हमसफ़र..!
आपके पैदा होते ही
आपको वो आकर मिली थी
तबसे वो तुम्हारे साथ है
पूरी शिद्दत के साथ उसने
लुभाया आपको।
आप भी उसपर फिदा हो गए
उसके बिना रह पाना
आपके लिए नामुनकिन हो गया
लेकिन क्या आपने कभी
पूछा जिंदगी को
की वो कौन है ?
कहाँ से आई हो ?
मुझे क्यो मिली ?
और मुझे कहाँ
लेकर जा रही हो ?
पूछोगे तो भी वो बताएगी
नहीं कि सच क्या है।
सच यह है कि
मौत एक अजनबी,
कपटी, बागी, धोकेबाज साथी है
किसी को गोद मे लेकर
किसी की उंगली पकड़कर
किसी को कंधे पर बैठाकर,
तो किसी का पैर पकड़ के
घिसड़ते हुए
वो मौत तक ले जा रही है
मौत से मिलाने के लिए !
मौत उम्र के रथ पर सवार होकर
हौले हौले रफ्तार में वो
आपको अपने साथ
मौत तक ले जा रही है
इस सफर में वो
हमें कइयों से मिलाती है।
जैसे सपने, अरमान, रिश्ते,
ख्वाहिशें,जिम्मेदारियां,
इन सब मे हम इतने
उलझ जाते हैं कि कभी
हम फुर्सत ही नहीं
निकाल पाते कि
हम जिंदगी से पूछे कि
जिंदगी के साथ
हम कहाँ जा रहे हैं।
मौत किसी गुमनाम
नगरी की महारानी है
जिसे गुलामों की जरूरत है
अपने नगर के काम करवाने के लिए।
जिंदगी मौत की प्रधान मंत्री है
जिस पर गुलामों को ले
आने की जिम्मेदारी होती है,
इसलिए जिंदगी को कुछ
मानधन भी मिलता होगा
और फिर जिंदगी अपने
काम पर लग जाती है।
हम जैसे कई मासूमों के साथ
पैदा होते ही
मुलाकात कर लेती है,
उसे अपना दोस्त बना लेती है
चुपड़ी चुपड़ी बातों से बहलाती है
और हमें उम्र के रथ पर बैठाकर,
हमारे हाथ में सपने,
अरमान, ख्वाहिशें,
जिम्मेदारियां और
रिश्तों के खिलौने देकर
मौत तक मौत से मिलाने के लिए
ले जाती है !