अलख जगाना है
अलख जगाना है
कैसा अद्भुत कैसा अनोखा सफ़रनामा है।
ज़ब कोई हाथ बढ़ाए तो उसे थामना है।।
इस दुनियां से सबने एक दिन जाना है।
अब दिल में यही एक भाव जगाना है।।
मन एक मन्दिर की तरह, यह माना है।
फूलों सा पावन इस जहां को बनाना है।।
जहां में जीवनसत्य का अलख जगाना है।
हर अपने को पहले दिल से अपनाना है।।
सकल चराचर जीव इस वृहद जगत को।
अपने प्रेम भाव से हम सबको ही सजाना है।।