अखण्ड...
अखण्ड...
ये बात
भलीभांति समझ लीजिए...!!!
मैं जहां कहीं भी कदम रखता हूं,
पूरे आत्मविश्वास सहित रखता हूं !!!
मैं जहां भी जाता हूं,
सच्चे साहस से अपना ध्यान
अपनी मंजिल/गंतव्यस्थल तक ही
केंद्रित रखता हूं ।
मैं स्वयं को
देवी काली माता के
श्रीचरणों में समर्पित कर
अपने स्पष्ट पथ पे
आलोकित मन और
अदम्य आत्मविश्वास सहित
चलने का आदी हूं...।
मैंने कभी भी मेरे आसपास के
उन अनुपयोगी लोगों की सोच पे
अपनी राय नहीं बदला किया,
जिनको अपने स्वार्थसिद्धि के सिवा
और कुछ मतलब नहीं...
और जो महज दांव-पेंच से ही
अपनी बात रखा करते हैं...।
मैं उस 'सुविधावादी' गुट का
कमज़ोर हिस्सा न तो कभी बना
और न ही उसके पीछे-पीछे
अपना काम निकलने के लिए
दौड़ लगाया...
मैं ऐसा ही हूं...!!!
इसलिए मैं हमेशा
अपनी एक अलग-अनछुई
सोच के साथ ज़िंदा रहता हूं।
इसलिए मैं शायद
किसी विशेष जगह की
किसी समुदाय को
अपनी राय बदलने का
अधिकार नहीं देता... ।
मैं निरंतर अपनी गति
पकड़कर चलता हूं... ।
मैं ऐसा ही हूं !!!
