अकेला
अकेला
साधु परवत गुम्फा मे
योग करते थे
शान्त चित्त से
न कोई रुकने बाला
या देखने बाले लोग
पत्थर का चटान
ऊपर स्थिर बैठते थे।
पहाड़ जैसे ख्योभ
लगाम तुण्डि से
बोलना मत करना
कर देखना अपना
जीवन कैसा बनाना ।
प्रकृति से सिखना
पेड़ की तरह निरंतर
खुद मौन रहना ।