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Shalini Wagh

Abstract

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Shalini Wagh

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अजनबी

अजनबी

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लापता हूं अपने कल से

बेहक गई हूं अपने आज से


हमसफर, हमराही है राह पर

अनजान है पर उनमे भी जान होगी


अनजान राह, अनजानसफर

फिर भी अपने लगते है मगर


यहा अजनबी से दोस्ती हो गेहरी

दिल मे बसती है उनकी ही बस्ती


हर मोड़ पर हाथ थाम लेना

अनजान समझकर जान ना ले जाना।


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