STORYMIRROR

Suchismita Behera

Abstract

4  

Suchismita Behera

Abstract

अजीब सा समय

अजीब सा समय

1 min
397

कभी सोचा न था ऐसा भी दिन आएगा

कुछ इस तरह ये साल गुजरेगा

पहले समय था पर वक़्त न था

अब वक़्त है जब समय का‌ समा न रहा।


कभी डर लगता था, बड़े बड़ों से

आज छोटा सा किरदार सबको समान कर दिया

बस कुछ दिनों की खामोशी ने

जिंदगी जीने का महत्व सिखा दिया।


ये अकेले रहने का सिलसिला तब तक चलेगा

जब तक तु अपनी काबिलियत ना परखेगा

कितना मुश्किल है ना ! इच्छा से खुदको बंदि करना

पर क्या पता शायद इसी को ही कहते हैं जीना !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract