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अजीब है यह जिंदगी जो उपरवाले न

अजीब है यह जिंदगी जो उपरवाले न

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अजीब है यह जिंदगी जो

उपरवाले ने बनायी

किसी को सोने सा दिल दिया

तो किसी को पथर का

अजीब है यह जिंदगी जो

उपरवाले ने बनायी

इन्सान को सबसे बड़ी

कमज़ोरी दे दी वो है बुढ़ापा

बुढ़ापा इन्सान को

फिर बच्चा बना देती है

बुढ़ापा इन्सान को

कमज़ोर कर देता है

जैसे बचपन में

सहारे की ज़रूरत होती है

वैसै ही बुढ़ाप

े में सहारे

की ज़रूरत होती है

भगवान भी अनोखे है

जिंदगी के पहले कदम

सहारे से उठाते है

ओर बुढ़ापे के अखिरी पल भी 

इन्सान जब छोटा होता है

तो उसे बड़े होने की

जल्दी होती है ओर बुढ़ापे मे वो

अपने बचपन में लौटना चाहता है

अजीब है यह जिंदगी जो

उपरवाले ने बनायी


 


 


 



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