ऐ मित्र
ऐ मित्र
ऐ मित्र
तेरा प्रभाव ऐसा मन पर
जैसे मन में घुलता इत्र
भावों में कुछ उलझा उलझा
संबंधों का आयाम विचित्र
रचता नए आयाम रिश्तों के
मन बसता तेरा ही चित्र
ऐ मित्र, मेरे प्यारे मित्र
तेरी मित्रता है प्यारी
लगे मुझे दुनिया से न्यारी,
सच्ची मित्रता है अमृत
जो ना हो कभी विस्मृत
तेरे बिना अधूरा है मेरा
अस्तित्व ऐ मेरे प्यारे मित्र।