ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी
वीरान पड़ी जिंदगी को सँवारता है वही
जिंदगी को फिर जिंदगी बनाता है वही
तेज तूफ़ान, बारिश, धूप में है जो बना
जिंदगी को फिर जिंदगी बनाता है वही
फिक्र-ए-जिंदगी छोड़ अग्र बढ़ता हैं जो
थकान जिंदगी का दूर भगाता है वही
हर परिस्थितियों में बुद्धि से लेता काम
अपने जिंदगी को स्वर्ग बनाता है वही
मुट्ठी में भर के रखना चाहता जो कोई
पर रेत की तरह फिसल जाता है वही
जिंदगी की राहों में फूल ही फूल बिछे
ऐसा होगा नही काँटो से वास्ता है वही
काँटो को हटाकर सँभाल कर चलना
जिंदगी जीने का आसन रास्ता है वही
ना रुक कभी ना थम चलने दे जिंदगी
कभी हँसाता तो कभी रुलाता है वही।