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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

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अहैतुकी कृपा।

अहैतुकी कृपा।

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हे गुरुदेव ! तेरी अहैतुकी कृपा को, कैसे उसे भुलाऊँ मैं  

मैं मूढ़-मति अज्ञानी ठहरा, दिल को कैसे समझाऊँ मैं


 उपकार किए तुमने बहुतेरे, समझ न सका तेरी माया को 

 पल-पल तुमने धीर बंधाया, कैसे तुम्हें रिझाऊँ मैं


 पाप कृत्यों में लगा रहा, तुमने हर पल दस्तक दी

 तुम तो हो दया के सागर ,कैसे डुबकी लगाऊँ मैं


श्रद्धा- विश्वास कभी ला न सका, फिर भी तुमने है अपनाया

 करुणा के तुम हो मोहिनी मूरत, कैसे तुम्हें अपनाऊँ मैं 


तेरे दर पर जो भी आया, मनवांछित फल है उसने पाया

 झोली तुमने सब की भर दी, कृपा की आस लगाऊँ मैं 


"रामाश्रम" वाटिका में रहकर भी, तुमको अब तक समझ न पाया

 बाहरी आडंबर में ऐसा डूबा,किस विधि दर्शन पाऊ मैं


 छल- कपट तुमको नहीं भाते, फिर भी प्रेम से गले लगाते

"नीरज" की है बस एक ही चाहत, कैसे भजन सुनाऊँ मैं।


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