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Shailesh Tiwary

Drama

3  

Shailesh Tiwary

Drama

अग्नि की शीतलता

अग्नि की शीतलता

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इस अग्नि की तपन में भी, 

      मां ! तू शीतलता की एक छाँव है।

तेरी मुस्कुराहट है तो,

      जीवन में न कोई आभाव है।


मैं भी तप रहा हूँ इस अग्नि में,

क्योंकि, मुझे दिख रहा तेरे हाथों का वो घाव है। 

मां, इस अग्नि के तपन में भी

तू शीतलता की एक छाँव है।


तेरी आँखों के हर बूँद का मोल,

          मंथन का अमृत भी न दे पायेगा। 

तेरी ममता से सींच रहा हूँ खुदको, 

         ये अग्नि मुझे क्या पिघलायेगा। 


तुझसे ही रोशन हुआ हूँ मैं, 

   देखना एक दिन तेरा ये चाँद,

सूरज को भी जगमगायेगा।

मां, इस अग्नि के तपन में भी

तू शीतलता की एक छाँव है।


कई इमारतों की है सरंचना की,

              तेरे इस सुने- नंगे पांव ने ।

पर इन टिमटिमाते तारों के बीच,

             ये आँचल हीं खुशियों का मेरा एक गाँव है।


जीवन का ये संघर्ष रचना कर रहा,

                हिमालय सा अडिग मेरा स्वभाव है।

क्योंकि इस अग्नि की तपन में ही, 

                  केशरिया का प्रभाव है।


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