अधूरी
अधूरी


बादलों में उड़ती हवाओं की तरह तू है
धूप में कड़क छाँव की तरह तू है
बागों में महकती हुई खुशबू की तरह तू है
फूलों में खिलती हुई कली की तरह तू है
चाय में चाय की पत्ती की तरह तू है
फोन में फोन की बैटरी की तरह तू है
फीकी दाल में नमक की तरह तू है
तू है तो हर कमी भी पूरी है
तू ना है तो ये जिन्दगी भी
अधूरी है!