STORYMIRROR

Sunita Mishra (Adheera)

Romance

4  

Sunita Mishra (Adheera)

Romance

अधीरा

अधीरा

1 min
433

भावों के पंछी मेरे,बस उड़ने को अधीर हैं,

इनको बाँधे रखना यहाँ, सच मानो तो एक पीड़ है।


लेखनी को भी कहा ,कुछ रोज़ और विश्राम कर,

चुनौतियों ने मुझसे कहा, एक क्षण न तू आराम कर।


दे धार अपनी सोच को, कि शब्द जाएँगे निखर,

कि वक्त लाएगा चमक, तेरे लफ्ज़ होंगे और प्रखर।


मर्म छलक जाता है, मेरी लेखनी की स्याही से अक्सर,

न चाहते हुए पन्नों पर, मेरे ऐहसास जाते हैं बिखर।


हर दिल यहाँ तुझे प्यार दे, ज़रूरी नहीं ऐ हमसफर,

तू ही लूटा दे तेरी मोहब्बत, क्यूं बैठा है जी हारकर ?


भावों से भीगे शब्दों को,अपनी कविता में संवारकर,

मुझे सुकून मिलने लगा है,इन्हे पन्नों पे उतारकर।


भावों के पंछी मेरे, शायद न रह पाएं नीड़ में,

पर मुझे रहना है कुछ रोज़ और, इस टीस में इस पीड़ में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance