जय माँ
जय माँ
हे महागौरी हे तोशानी,
जय शक्ति जय दुर्गा भवानी।
बैल पर सवार होकर,आई हैं माता,
एक हाथ में त्रिशूल, दूजे में डमरू है भाता।
सफ़ेद पुष्पों की माला,सफेद साड़ी श्रृंगार है,
आडंबर न माँगती, भक्तों की श्रद्धा से प्यार है।
दाहिना हाथ अभय मुद्रा, बायाँ वर मुद्रा में रहे,
भक्तों को आशीष दें, कोई भक्त कष्ट न सहे।
हरिद्वार कनखल के निकट,महागौरी का निवास है,
भय, चिंता सब त्याग दो, जब माँ तुम्हारे पास है।
माँ की उपासना से ही, काम सारे हों सकल,
मन निर्मल हो जिनका, पाएं सदा मनोवांछित फल।
गौर वर्ण महागौरी, पूरी करती हर आस हैं।
जगत के दुख हरने वाली, हर हृदय में उनका वास है।