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Sonias Diary

Abstract

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Sonias Diary

Abstract

अभी तो चलना बाक़ी है

अभी तो चलना बाक़ी है

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ऐ मौत के काफ़िर फ़रिश्ते !

कहाँ ले चला मुझे ?

किस जग की ओर ?

किस पल की और ?


अभी तो ज़िंदगी जी नहीं 

अभी तो कर्तव्य का चोला पहना

ज़िम्मेदारी का है दामन थामा


बहुत कुछ करना बाक़ी है 

दूर तक चलना बाक़ी है 

चलता चलता रुका हूँ बस 

अभी तो चलना बाक़ी है 

मंज़िल बहुत दूर दिख रही 

रास्तों को ढूँढना बाक़ी है 


थोड़ा सा विश्राम क्या हुआ 

सोचा तुमने क्या मैं रुक गया !


मत आ मुझे तू लेने

मत लेके मुझे तू जा 


पिता का फ़र्ज़, बेटे का फ़र्ज़ 

निभाते जीवन गुज़रा 

पति फ़र्ज़ अभी भी बाक़ी है …


दो नयना रास्ता ताके 

मुझे घर को जाना बाक़ी है 


 दो घड़ी मुस्कान मैं दे दूँ

थोड़ा सा साथ मैं दे दूँ 

 ज़िम्मेदारियों में छन्नी हुए 

 दो हाथ सोनिया थामना बाक़ी है 


अभी तो थक कर बैठा हूँ मैं

अभी तो चलना बाक़ी है 

अभी तो चलना बाक़ी है …।



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