अब उठा शस्त्र, और कर प्रहार
अब उठा शस्त्र, और कर प्रहार
ना माँ, मैं ना जाऊँ स्कूल,
छेड़े हैं मोको पापी, धूर्त।
करें छींटाकशी आती-जाती,
चुनर खींचे मेरी लहराती।
और भी क्या-क्या बतलाऊँ तोको,
आँचल में छुपा ले, तू मोको।
माँ का दिल गहन विषाद में डूब गया,
अगले ही पल, गुस्सा बनके फूट गया।
अबला नहीं, सबला है बनना,
नहीं है तोको,मौन है रहना।
तुझ में वास नवदेवियों का,
बन जा तू दहकता अंगारा,
जगा अपने अंतर की ज्वाला।
धर रूप काली का विकराला,
अब उठा शस्त्र, और कर प्रहार,
वहशी दरिंदों का कर संहार।