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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

अब तो सिर्फ उड़ान बाकी है

अब तो सिर्फ उड़ान बाकी है

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अभी लड़ रहा है देश हमारा

सब ले रहे भेष का सहारा

लूटते हैं दिखा अपनेपन

दुश्मनों और अपनों की

अभी पहचान बाकी है।

दुश्मनों और अपनों की

अभी पहचान बाकी है I

सपने देखते सबेरा हो गया

चाँद वो फिर कहाँ खो गया

तारों के बीच जगमग चमन

दिन के उजाले में वहां तो

अब सिर्फ रेगिस्तान बाकी है।

दिन के उजाले में वहां तो

अब सिर्फ रेगिस्तान बाकी है।

जीत के लिए उसने तोड़ दी हदें

हदें तोड़ दी उसने जीत के खातिर

जो हमने सोचा उससे ज्यादा शातिर

जीत गया वो हर कदम पर

अभी तो आना वोट का रुझान बाकी है।

जीत गया वो हर कदम पर

अभी तो आना वोट का रुझान बाकी है।

लिखेगा वो संविधान अब फिर

निशाना कहीं लगेगा कहीं तीर

एक इशारे पर भड़कते यहां दंगे

फिरंगियों का ये हैं बेरहम फिरंगे

सुरसा नहीं इसके हजारों मुख

निगल गये जल थल का सुख

निगलना इनका ना आसमान बाकी है।

निगल गये जल थल का सुख

निगलना इनका ना आसमान बाकी हैI

सोचता क्या है इतना भँवर में फंस के

जिस जमीं पर चला हुए पाताल धंस के

निशान न मिलेंगे तेरे वंशजों को कभी

अस्तित्व तेरा, भविष्य तेरे हाथ है अभी

अवरोध बन चुके हैं पहाड़ जल थल में

कर प्रयत्न हौसलों की बांह थाम पल में

अब तो उम्मीद की सिर्फ उड़ान बाकी है I

कर प्रयत्न हौसलों की बांह थाम पल में

अब तो उम्मीद की सिर्फ उड़ान बाकी है


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