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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Abstract

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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अब तो सांस भी उनकी

अब तो सांस भी उनकी

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अब तो सांस भी उनकी मर्जी है 

अब तो रास भी उनकी मर्जी है 

सच् बोल दिया ऐसे अगर सच् ने 

अब तो फांस भी उनकी ही मर्जी है !


छूट जाये साथ नफरतों से क्यूँ 

मिट जाये बात फितरतों से क्यूँ 

मान लो जजबात अपनो के अभी 

अब तो उनका साथ भी उनकी मर्जी है !


ये रात दिन स्याह हो गये होंगे 

जब भी सोचो तनहा दिल इतना 

ये इबारत लिख दिया उसने मन मे 

इनके "मन की बात" भी इनकी मर्जी है !!


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