अब रहा नहीं
अब रहा नहीं
तेरे तरीकों में सनम
कोई तर्ज अब रहा नहीं...
तू मरीज हो ऐसा
कोई मर्ज अब रहा नहीं...
तेरी मोहब्बत का मुझ पे
कर्ज अब रहा नहीं...
गर झूठे थे वादे सारे
तो निभाने का फर्ज अब रहा नहीं...
ईमान पे इतराने वाले
तुझे गद्दारी से हर्ज अब रहा नहीं...!
