अब क्यों रहे कांप
अब क्यों रहे कांप
सार्वजनिक मंचों से करते हैं जो
बेटियों को बढ़ावा देने की बात
देश की पहलवान बेटियों का
साथ देने में अब क्यों रहे कांप
दिल्ली में अपनी पीड़ाओं को ले
तमाम पहलवान दे रही हैं धरना
आखिर उच्च पदों पर बैठे लोग
क्यों मुश्किल मान रहे मुंह खोलना
उच्चतम न्यायालय तक जा पहुंची
देश की अनेक बेटियों की व्यथाएं
सारे टीवी चैनल अब मूक हतप्रभ
सत्तारूढ़ों की कमियां कैसे गिनाएं
इस वाकए ने उजागर कर दिया है
सभी टीवी चैनलों का दोहरा चरित्र
जो दिनभर जनता का ध्यान बंटाने
को बांचते रहते रिपोर्ट अनेक विचित्र
मीडिया सत्तानशीनों के चरणों ज्यों
भाव विभोर हो होती रहती लोटपोट
वास्तव में वो लोकतंत्र के साथ साथ
पत्रकारिता को भी पहुंचा रही है चोट।
