आत्मसम्मान
आत्मसम्मान
आगे बढ़ने की होड़ में,
पैसा कमाने की दौड़ में,
एक दूसरे की तोड़ में,
कहां रहा आत्मसम्मान,
हर पल हर क्षण हम जीते है,
सिर अपना घर भरने को,
अपना काम है बनता तो,
भाड़ में जाए जनता,
बिन खोए आत्मसम्मान,
यहां कोई काम ना बनता,
अब तो रह गया है दिखावे का,
ये झूठा सा आत्मसम्मान।