STORYMIRROR

Krishna Bansal

Inspirational

4  

Krishna Bansal

Inspirational

आत्मसाक्षात्कार

आत्मसाक्षात्कार

1 min
462


बहुत जी ली 

दिखावे की जिंदगी, 

आ अब लौट आ 

आत्मसाक्षात्कार कर

मंथन कर

स्वयं में बदलाव ला।


'मैं, अति सुन्दर 

अति धनवान 

सुशिक्षित

मेरा घर लाखों में एक।

मैं, बलशाली 

शक्ति शाली 

श्रेष्ठ, धार्मिक 

कितनी गलतफहमियां पालोगे

अपने बारे में 

आ अब लौट आ 

आत्मसाक्षात्कार कर

मंथन कर

स्वयं में बदलाव ला।


'मैं, ईश्वर की खास कृति 

मुझ पर ईश्वर की विशेष 

अनुकम्पा

मेरी जाति ऊँची

मेरा धर्म ऊँचा

मैं,ओहदे वाला

खबरों में बने रहने वाला 

दूसरों की मदद करने वाला

न जाने क्या क्या सोचते हो 

अपने बारे में  

आ अब लौट आ 

आत्मसाक्षात्कार कर

मंथन कर

स्वयं में बदलाव ला।


इतनी धारणाएं पालकर,

न जाने कितनी समस्याएं 

पैदा कर ली हैं तुमने।

कितने ही संघर्ष

कितने ही तनाव।

कितनी ऊँची उड़ सकती है 

तुम्हारी पंतग

कटेगी ही एक दिन।

आ अब लौट आ

आत्मसाक्षात्कार कर

मंथन कर

स्वयं में बदलाव ला।


अन्तर्मन में झांक

सूक्ष्म से सूक्ष्म हलचल का 

विश्लेषण कर

हर कोशिका की चाल देख

हर विचार को परख

पूर्णतया जान स्वयं को।

आ अब लौट आ

आत्मसाक्षात्कार कर

मंथन कर

स्वयं में बदलाव ला।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational