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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

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Hardik Mahajan Hardik

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आत्मा

आत्मा

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मैं हर जगह हूँ

मैं तब भी था

मैं अब भी हूँ

औऱ मैं जाने के

बाद भी रहूंगा


मैं ख़्याल नहीं,

मैं ख़्वाब नहीं,

मैं शीशा नहीं,

मैं तक़दीर नहीं,

मग़र में फ़िर भी

रहूंगा,


मैं कल भी था

मैं आज भी हूँ

मैं जन्मों जन्म

तक हूँ

मैं भटकती हुई

आत्मा हूँ


मैं हर जगह हूँ

मैं हर घर हूँ

मैं हर हर मन्दिर में हूँ

मैं हर मज्जिद में हूँ

मैं हर गुरुद्वारा में हूँ


मैं तहखानों में हूँ

मैं अब्र में हूँ

मैं कब्र में हूँ

मैं हर जगह हूँ


जहां मुझे पुकारोगे

वहां पर हूँ

जहां मुझे बुलाओगे

वहां पर हूँ

मैं हर जगह हूँ।


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