आस
आस
पत्तों पर पानी की बूँदें
मोती का भ्रम करती हैं
यादों की टूटी पाँखें फिर
उड़ने का क्रम करती हैं
नभ की ऊंचाई छूने को
जागी हसरत दम भरती है
नीले अम्बर में उड़ने को
बादल का मैं रूप धरूँ
चपला चमके ज्यों चहूँ ओर
ऐसे फिर में भी जतन करूँ
सूरज की खिलती किरणों सा
जग में मुझको आकार मिले
अरमानों के ऊँचे शिखरों से
ऐ देव अगर फिसलूँ भी तो
हँसता गाता संसार मिले
हँसता गाता हर तार मिले।
