आस टूटे ना कभी
आस टूटे ना कभी
आस टूटे ना कभी ,
साथ छूटे ना कभी
ऊजड़े गुलशन के फूल
प्यास मिटे ना कभी!
मन के भाव नहीं बदले
उन के स्वभाव नहीं बदले
किस तरह उनके हो गये जानिब
हमारे तो अभाव नहीं बदले !
रूक कर देखते क्या हो
झूक कर रोकते क्या हो
साए की तरह मिलने वाले
परेशां लौटे ना कभी ।
