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shubhangi arvikar

Inspirational

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shubhangi arvikar

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आस का दीप

आस का दीप

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आओ सखियों दर्द भुलाएं

हृदय- तार के गीत सुनाएँ।


शब्द-सुमन बागों से चुनकर

रेशमी स्वर-सुत में पिरोकर 

भावों का पुष्पहार बनाएं।


स्वर्णिम-पिंजरे का संग छोड़कर

आकांक्षाओं के पंख पसारकर 

अपनी मंजिल खुद ही पाएं।


संकट के घने बादलों ने घेरा

सांझ पर डाला तूफानों ने डेरा 

इसमें आस का दीप कहलाएं।


रेशमी गांठों के बंधन खोले

आनंद-रस में मिसरी घोले

क्यों न हम ये बीड़ा उठाएं।



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