STORYMIRROR

दुनिया

दुनिया

1 min
303


दुनिया तो है झूठ मगर हमने सच मान लिया

क्या मिला यहाँ क्या खोया सब में सुकून मान लिया।


कभी अपनो ने रुलाया

कभी ग़ैरों ने हँसाया

धीरे धीरे हर एक चेहरे को पहचान लिया।


घर औरों के बसाते बसाते

चिराग़ उमीदों के जलाते जलाते

न मिल सकी रोशनी तो अँधेरा मकान लिया।


सोए रहे थे साल कई

सोए रहेंगे साल कई

यहाँ हर हाल में है नींद खोना, ठान लिया।


क्या लाए थे यहाँ याद नहीं

कुछ ले जाने सी यहाँ बात नहीं

मुक़द्दर से अपने रिश्ता निभाना जान लिया।



Rate this content
Log in