आरज़ू
आरज़ू
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आरज़ू नहीं,
जूनून नहीं,
मन्नत है
मेरी !
रही नहीं,
साथी नहीं,
साया है
मेरी !
बात उसकी है,
जो नहीं है मेरी !
ख्वाब नहीं,
हक़ीक़त नहीं,
ख़्वाहिश है,
मेरी !
दिल नहीं,
जान नहीं,
धड़कन है
मेरी !
बात उसकी है
जो नहीं है,
मेरी !