आफताब ढल गया बातों ही बातों मे
आफताब ढल गया बातों ही बातों मे
समंदर किनारे बैठे एक दूजे में खो गए
लहराती हुई लहरों में सपनो में बह गए।
आफताब ढल गया बातों ही बातों में
वक्त की रफ़्तार बढ़ी तेजी से बढ़ने लगी।
आसमान से सूरज ढलने लगा
तुम से समा जलने लगा।
होठों से सबनम झरने लगे
बातों ही बातों में आफताब ढलने लगा।