आनंदमय हो जाएगी, जिंदगानी हम आपकी
आनंदमय हो जाएगी, जिंदगानी हम आपकी
होंगे जो हमारे सकारी विचार,
एक-दूजे को करेंगे जब प्यार।
समस्याएं मिट जाएंगी,
हमारी और आपकी।
आनंदमय हो जाएगी,
जिन्दगानी हम आपकी।
स्वार्थ-लालच से रोग हमको,
अक्सर हैं रहते सबको ही घेरे।
व्यवहार में त्याग होता है मुश्किल,
स्वार्थ भावों के जब आते फेरे।
मुश्किल तो है ये बड़ा,
संकल्प जब कर लें कड़ा।
निश्चित हल हो जाएगी,
परेशानी हम आपकी।
आनंदमय हो जाएगी,
जिन्दगानी हम आपकी।
मौत ही है सुनिश्चित जगत में,
यह भली-भांति हम जानते हैं ।
नश्वर सारा यह भौतिक जगत है,
अमरता विचारों की भी मानते हैं।
जो छोड़ें यह तेरा -मेरा,
सुनिश्चित नूतन ही सवेरा।
निश्चित बदल ही जाएगी,
कहानी ही हम आपकी।
आनंदमय हो जाएगी,
जिन्दगानी हम आपकी।
त्याग भाव प्रबल रहा है हमारा,
आदर्श शिवि बुद्ध दधीचि हमारे।
जड़-चेतन से भी है स्नेह हमको,
प्रकृति के कण-कण में देव सारे।
प्रकृति संग यह सारा ही संसार,
हमारा अपना एक ही परिवार,
प्रमाण हमारी समरूपता ही है,
निशानी हम आपकी।
आनंदमय हो जाएगी,
जिन्दगानी हम आपकी।
हम हैं सबके और सभी हैं हमारे,
अपनत्व हो हम सबका मधुर सपना।
द्वेष हर दिल से हमको मिटा के,
स्थापित करना मृदुल प्यार अपना।
अमृत काल में भारत उदय,
सबको ही देगा अभय।
सुनिश्चित साकार हो संकल्पना,
जगत में राम - राज की।
आनंदमय हो जाएगी,
जिन्दगानी हम आपकी।
होंगे जो हमारे सकारी विचार,
एक-दूजे को करेंगे जब प्यार।
समस्याएं मिट जाएंगी,
हमारी और आपकी।
आनंदमय हो जाएगी,
जिन्दगानी हम आपकी।
