आँखें: दिल की संगीतमय ज़ुबान
आँखें: दिल की संगीतमय ज़ुबान
आँखें भी होती हैं दिल की ज़ुबान।
रोती हैं, हंसती हैं, बयां करती हैं ज़मान।
ये आँखें रस्तों पर बिछे अफसाने पढ़ती हैं,
दर्द की कहानियों को सजाकर रचाती हैं।
जब कभी उदासी छा जाए दिल की सारी दीवारों पर,
आँखों की पलकों से बरसे अश्क गहरे सादगी के संग बहारों पर।
कभी जोश से भरी हो जाएं, उबल उठें दिल के जज़्बात,
तो आँखों की लहरों में छिपी धड़कनें हो जाएं तराने संग संग।
ये आँखें अपने अंदर की कहानी सबको सुनाती हैं,
खो जाएं जब शब्द तो ये लेखा-जोखा समझाती हैं।
ये आँखें भी होती हैं दिल की ज़ुबान,
गुहार करती हैं ज़िंदगी के हर राग-रंग के अरमान।