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bhandari lokesh

Romance Others

4.0  

bhandari lokesh

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आखिरी निशान

आखिरी निशान

1 min
310


कुछ निशानी मिली थी मुझसे, जो तुझसे छूकर लौटी थी

वो ख़बर सुनाने को तेरी, मेरे पास अभी तक बैठी थी

है हाल बुरा उसका माना , ना तुम बिन इक पल हंसती है

वो रोती है लगकर तकिये से, बस याद तुम्हें ही करती है

या तो जीवन लौटा दो या जीने का हक दे दो

या तो याद भुला दो अपनी या साथ उसे बेशक दे दो

मैं अब तक सुन रहा था दिल से, वो चुप चुप सब कुछ कहती है

वो ख़बर सुनाने को तेरी, मेरे पास अभी तक बैठी है

 सुनो भंवर ये वही कली है , जो पल पल हंसती रहती थी

वो बाग़ बगीचे के फूलों से, नजर मिला के कहती थी

बहुत ही सुन्दर रंग हैं तेरे,ज़रा उनसे मुलाक़ात करो

पहले कुछ लिख वालो उनसे, फिर मुझसे दो बात करो

वो फूलों सी पंखुड़ियां कैसे, दर्द ना जाने सहती है

वो ख़बर सुनाने को तेरी, मेरे पास अभी तक बैठी है



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