आका का हुक्म
आका का हुक्म
चलो
अच्छा हुआ
अब हम दो
कदम आगे
तो चले !
टूटा सियासी
का चलन
अब तो हम
गले मिलने
को चले !
मलाल तो
हमें इतना है '
जहर दुश्मनी
का फैला कैसे ?
घात -प्रतिघातों
से अपना
घृणित छवि
विश्व को
दिखाया कैसे ?
सीमाओं पर
लोग हमारे
मरने लगे !
आतंक का
ढिंढोरा सदा
पिटते चले !
'जबतक सीमा
पार से आतंक
नहीं मिटेगा
तब तक
विभेदों का
वातावरण
नहीं हटेगा !
क्रिकेट बंद ,
गजल बंद ,
यहाँ तक कि
पुस्तक विमोचन
नहीं होने देंगे !
कटु भाषाओँ
के प्रहारों से
ह्रदय विदीर्ण
होते रहेंगे !
पर यह
अद्भुत चमत्कार
हुआ कैसे ?
जलवायु की
चर्चा में
यह बर्फ
इतना शीघ्र
पिघला कैसे ?
